रायपुर । पोंजेर मुठभेड़ कांड की जांच के लिए आया कांग्रेस का उच्च स्तरीय दल हालांकि वापस लौट गया है। घटनास्थल तक जांच दल के सदस्य न पहुंचें इसके लिए काफी प्रयास किए गए। संभवत: इसका आभास जोगी समर्थकों को हो गया था। रणनीति के तहत आधा दर्जन से अधिक विधायकों के अंतिम समय में जांच दल के साथ जाने की खबर लगते ही विरोधी खेमा भौंचक्क रह गया। जिसके कारण जांच दल के सदस्य घटनास्थल तक पहुंचने में सफल रहे।
जांच दल के सदस्य प्रदेश कांग्रेस व नेता प्रतिपक्ष के रवैये से आश्चर्यचकित थे। कर्मा समर्थक दंतेवाड़ा कांग्रेस कमेटी के महामंत्री व ठेकेदार अजयसिंह द्वारा किए गए व्यवहार से भी जांच दल के सदस्य काफी क्षुब्ध बताए जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष की गलतबयानी व चुनाव के नाम पीसीसी द्वारा जो बेरुखी अपनाई गई है, उसका जिक्र भी जांच दल रिपोर्ट में कर सकता है।
बीजापुर जिले के पोंजेर ग्राम में फर्जी मुठभेड़ की शंका होने पर जांच के लिए कांग्रेस हाईकमान ने पांच सदस्यीय दल यहां भेजा था। उच्च स्तरीय दल 23 मई को रायपुर पहुंचा। इसके पूर्व से ही कांग्रेस के एक धड़े ने ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया था। अपरान्ह बारह बजे राजधानी पहुंचने के बाद दल के सदस्यों को नेता प्रतिपक्ष महेन्द्र कर्मा के निवास पर ले जाया गया। बताया जाता है कि यहां पर उनके दोपहर भोजन की व्यवस्था थी। महेन्द्र कर्मा द्वारा जांच दल के सदस्यों को वहां चल रहे सलवा-जुडूम व नक्सलियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी दी गई। उन्हें यह भी बताया गया कि पोंजेर में फर्जी मुठभेड़ की बात सही नहीं है। बताया जाता है कि इस दौरान जांच दल के सदस्यों को यह आभास हो गया कि उन्हें बेवजह यहां रोका जा रहा है। जांच दल के सदस्य यदि देर से पहुंचते तो संभवत: धमतरी, कांकेर, चारामा व जगदलपुर के कांग्रेसजन व अन्य लोग उनसे मुलाकात नहीं कर पाते। जांच दल जब भैरमगढ़ पहुंचा इस दौरान अजयसिंह नामक ठेकेदार जिसे दंतेवाड़ा कांग्रेस कमेटी का महामंत्री बताया जा रहा है, उसके द्वारा सदस्यों के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। अजय सिंह को महेन्द्र कर्मा व सलवा-जुडूम समर्थक बताया जाता है। उस पर राहत कार्य में गड़बड़ी का भी आरोप है। पोंजेर थाने में भी जांच दल को सही जानकारी नहीं मिली। सरपंच भी इस दौरान नदारत था। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी जांच दल के साथ पूरी तरह से दूरी बनाए रखे हुए थे। संगठन की ओर से गुरुमुख सिंह होरा को बतौर प्रतिनिधि बनाकर भेजा गया था। इसके अलावा बीजापुर के विधायक व जिलाध्यक्ष कवासी लखमा ही जांच दल के साथ पूरे समय तक मौजूद रहे। जानकारी के अनुसार विधानसभा उप चुनाव के नाम पर प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी जिस तरह से बेरुखी दिखाई है उससे जांच दल के सदस्य खफा बताए जाते हैं। सलवा-जुडूम को लेकर कांग्रेस दो गुटों में बंटी है। नेता प्रतिपक्ष महेन्द्र कर्मा इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके समर्थक विधायक पूरी तरह से इसका विरोध कर रहे हैं। इसके पूर्व भी हाईकमान ने बस्तर के लिए जांच दल भेजा था। उस समय भी दल को काफी दिक्कतें आई थीं। इस बार जोगी समर्थक विधायकों ने रणनीति के तहत काम किया। जांच दल के सदस्य जब नेता प्रतिपक्ष के निवास पर पहुंचे, इस दौरान आधा दर्जन जोगी समर्थक विधायक भी वहां मुलाकात करने गए थे। तब तक जांच दल व सलवा-जुड़ूम के समर्थकों को इसकी भनक नहीं थी कि पूर्व गृहमंत्री नंदकुमार पटेल की अगुवाई में विधायकों का दल भी उनके साथ जा रहा है, यहीं पर विरोधी खेमा मात खा गया और जांच दल घटनास्थल तक पहुंचने में सफल रहा।
(source: deshbandhu may 27)
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