मैनपाट । मैनपाट में एक तिब्बती शरणार्थी पर यहां की एक जनजातीय विवाहिता महिला द्वारा लगाये गये बलात्कार के आरोप के मामले में पुलिस की भूमिका काफी संदिग्ध हो गई है। महिला के अनुसार कुछ पुलिस वालों ने उसके घर पहुंचकर कहीं मुंह खोलने पर बुरे अंजाम की चेतावनी दी। मैनपाट थाना क्षेत्र के ग्राम परपटिया निवासी जनजातीय महिला ने कैम्प नंबर छह के तिब्बती शरणार्थी केलसगा पर बलात्कार का आरोप लगाया है। इस मामले में मैनपाट पुलिस द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई न होने पर महिला ने ले-देकर मामले को रफा-दफा करने का भी आरोप लगाया है। पुलिस ने कार्रवाई तो दूर अभी तक घटना की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की है। महिला ने बताया कि कुछ पुलिस कर्मी आज उसके घर पहुंचे और यह कहकर धमकाने का प्रयास किया कि वह भूल जाएं कि उसके साथ कुछ हुआ है वरना अंजाम बुरा होगा। महिला आज न्याय के लिए पुलिस के उच्चाधिकारियों का दरवाजा खटखटाने जा रही है।
उसने बताया कि वह अम्बिकापुर जाकर पुलिस के उच्चाधिकारियों से मिलेगी। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह भयभीत है कि जिस तरह से पुलिस वाले उसे धमकाने का प्रयास कर रहे हैं उसे आशंका है कि उसके साथ पुलिस कुछ भी करा सकती है। दिलचस्प बात यह है कि घटना को एक सप्ताह से ऊपर होने जा रहा है लेकिन एक प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हुई है। महिला ने पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब कोई घटना ही नहीं हुई थी तो पुलिस वाले तीन दिनों तक उस आरोपी को थाने में क्यों बैठाए रखा। तिब्बती प्रमुख तथा स्थानीय नेताओं की उपस्थिति में उससे सादे कागज पर अंगूठा क्यों लगवाया गया। इस महिला के अनुसार उसके साथ आरोपी ने तब बलात्कार किया जब वह बाजार से घर लौटने में रात हो जाने के कारण एक परिचित महिला के साथ रूक गई थी। तिब्बती ने रात में उसका मुंह दबाकर उसके साथ बलात्कार किया था।
(Source: Deshbandhu May 8. 2007)
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